कोलकाता। आजादी के समय से ही भारत में कई लोग हैं जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) को और ज्यादा सम्मान प्रदान करने का पुरजोर समर्थन करते है और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं की आजादी के बाद की सरकारों ने सुभाष चंद्र बोस को वह सम्मान कभी नहीं दिया जिसके वह हकदार थे।
क्या है मामला?
हरेंद्र नाथ बिस्वास, 94 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कोलकाता हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल करी जिसमें उसने मांग करी है की भारतीय करेंसी के नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का चित्र छपे। कोलकाता हाईकोर्ट ने इस पिटीशन को सुनने के बाद केंद्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है और इसके लिए 8 हफ्ते का वक्त दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत के करेंसी नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फोटो प्रिंट की अर्जी किसी कोर्ट में दाखिल हुई है। 2017 में कोलकाता हाईकोर्ट ने जब ऐसे ही केस पर केंद्रीय सरकार का जवाब मांगा था तब केंद्र सरकार ने कहा था कि इस मुद्दे पर आरबीआई से सलाह मशवरा करने की जरूरत है।
फरवरी 2021 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने उस याचिका का निपटारा किया था जिसमें भारत सरकार को भारतीय मुद्रा नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक तस्वीर मुद्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि,”भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान अद्वितीय था, लेकिन याचिकाकर्ता की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।”
अब गेंद एक बार फिर केंद्रीय सरकार के पाले में है और इस मुद्दे से पश्चिम बंगाल और अन्य चुनावी राज्यों में अपनी राजनीति को चमका सकती है