Saturday, July 27, 2024

वोकल फॉर लोकलः ट्राइब्स इंडिया कॉन्कलेव का आयोजन, 20 से अधिक विदेशी मिशनों के 100 राजनयिक हुए शामिल

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नई दिल्ली। वोकल फॉर लोकल तथा एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए समृद्ध आदिवासी विरासत को प्रस्तुत करने के लिए ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सहयोग से एक ट्राइब्स इंडिया कॉन्कलेव का आयोजन किया गया था। विदेश मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के अतिरिक्त इस कार्यक्रम में भारत में 20 से अधिक विदेशी मिशनों के लगभग 100 राजनयिक शामिल हुए। इस दौरान पोलैंड, किरिबाती, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, थाईलैंड, लाओस, स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, मालदीव, अमेरिका और ब्राजील जैसे 20 से अधिक देशों के राजनयिक शामिल थे। कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। गणमान्य व्यक्तियों ने देश भर के जनजातीय कारीगरों के स्टालों का अवलोकन किया और अनूठी हस्तशिल्प तथा परंपराओं के बारे में और अधिक जानने की उत्सुकता प्रदर्शित की। डिस्प्ले पर लगभग 200 स्टॉल थे, जिनमें पारंपरिक बुनाई से लेकर आभूषण और पेंटिंग तथा खिलौनों तक के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया था, गणमान्य व्यक्तियों को जनजातीय कला और शिल्प की एक झलक दिखाई गई। इसके अतिरिक्त, मिट्टी के बर्तनों, लाख की चूड़ियों और गोंद चित्रों को बनाने के लिए कारीगरों द्वारा लाइव प्रदर्शन भी किए गए। कार्यक्रम में जनजातीय कारीगरों ने कठपुतली शो का लाइव प्रदर्शन भी किया। इस अवसर पर ट्राइफेड द्वारा एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें ट्राइफेड के अधिकारियों ने आदि महोत्सव में प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कहा कि यह एक ही स्थान पर लघु जनजातीय भारत है, जहां आप सर्वश्रेष्ठ जनजातीय हस्तशिल्प और उत्पाद खरीद सकते हैं तथा जनजातीय व्यंजनों और संस्कृति का सबसे अच्छा नमूना ले सकते हैं। ट्राइफेड इन जनजातीय कारीगरों और वनवासियों को मुख्यधारा में लाने और उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंच प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। एक साल में ऐसे 500 कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं – कुछ छोटे स्तर पर आयोजित किए जाते हैं। इस प्रस्तुति में जनजातीय कारीगरों और वनवासियों की दुनिया के बारे में और अधिक जानकारी दी गई है तथा उन्हें जनजातीय कलात्मक परंपराओं और उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए ट्राइफेड की पहल के बारे में कुछ अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है। प्रतिनिधियों के लिए दोपहर के भोजन का भी आयोजन किया गया था, जहां उन्होंने कुछ उत्कृष्ट जनजातीय व्यंजनों जैसे जम्मू और कश्मीर से मटन सीक कबाब, ओडिशा से मछली पकौड़ा, जम्मू और कश्मीर से चमन पनीर, राजस्थान से बेसन के गट्टे की सब्जी, तेलंगाना से मटन और चिकन बंजारा बिरयानी, मध्य प्रदेश से बाजरा और मक्के की रोटी और गुजरात से मूंग के हलवे का नमूना लिया।बाड़मेर के ग्रामीण विकास चेतन संस्थान द्वारा कल शाम जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा और सहायक उपकरण पर एक विशेष शो का निर्धारण किया गया है। यह जनजातीयों की समृद्ध कलात्मक परंपरा और शिल्प कौशल की एक झलक प्रस्तुत करेगा और उनके अद्वितीय उत्पादों का प्रदर्शन करेगा। आदि महोत्सव, एक छत के नीचे एक मिनी-इंडिया, एक वन-स्टॉप उपहार देने वाला गंतव्य है जो विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करता है। प्राकृतिक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली जनजातीय उपज जैसे सूखा आंवला, जंगली शहद, काली मिर्च, दलिया, मिर्च, रागी, त्रिफला और मूंग दाल, उड़द की दाल, सफेद बीन्स जैसे मसूर के मिश्रण से लेकर वार्ली शैली या पटचित्र पेंटिंग जैसी कलाकृतियों तक; डोकरा शैली में दस्तकारी के आभूषण से लेकर उत्तर-पूर्व की वांचो और कोन्याक जनजातियों के मोतियों के हार तक, समृद्ध और जीवंत वस्त्र और रेशम, अर्थात् एरी रेशम और चंदेरी रेशम; रंगीन कठपुतलियों और बच्चों के खिलौनों से लेकर पारंपरिक बुनाई जैसे डोंगरिया शॉल और बोडो बुनाई तक; टोडा कढ़ाई और कोटा-डोरिया दुपट्टे; बस्तर से लोहे के शिल्प से लेकर लोंगपी पत्थर के बर्तनों तक 1500 ऐसी वस्तुओं की पहचान की गई है, जिनमें से लोग अपनी पसंद का उत्पाद चुन सकते हैं। एक अलग जीआई स्टोर भी है, जिसमें राजस्थान की नीली मिट्टी के बर्तनों, कोटा डोरिया कपड़े, मध्य प्रदेश के चंदेरी और माहेश्वरी रेशम, बाग प्रिंट, ओडिशा के पट्टाचित्र, कर्नाटक के बिदरीवेयर, उत्तर प्रदेश से बनारसी रेशम, पश्चिम बंगाल से दार्जिलिंग चाय, हिमाचल प्रदेश से काला जीरा, बेहद मसालेदार नगा मिर्च और उत्तर-पूर्व से बड़ी इलायची जैसी प्रसिद्ध और उत्कृष्ट वस्तुएं भी आदि महोत्सव में देखी जा सकती हैं। भौगोलिक संकेत टैगिंग ने पिछले एक साल में बड़ा महत्व हासिल कर लिया है क्योंकि अब फोकस वोकल फॉर लोकल और एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर स्थानांतरित हो गया है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय का ट्राइफेड जनजातीय उत्पादों के साथ-साथ जीआई टैग उत्पादों को बढ़ावा देने और उन्हें एक ब्रांड में बदलने की सुविधा प्रदान कर रहा है, जो जनजातीय कारीगरों के सशक्तिकरण का प्रतीक है। इन पहलों से सदियों पुरानी जनजातीय परंपराओं और पद्धतियों को पहचानने और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी जो शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं। आवश्यकताओं और बजट के अनुसार इन उत्पादों को गिफ्ट हैम्पर में अनुकूलित किया जा सकता है। विशेष रूप से ट्राइब्स इंडिया के लिए प्रसिद्ध डिजाइनर सुश्री रीना ढाका द्वारा डिजाइन किए गए प्रीमियम ऑर्गेनिक, रिसाइकिल, टिकाऊ पैकिंग सामग्री में पैक, ये किसी भी अवसर के लिए आदर्श उपहार सिद्ध हो सकते हैं।

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