Saturday, July 27, 2024

उत्तराखंड: छात्रों को न मुफ्त किताबें मिलीं न शिक्षकों को वेतन! आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के किए थे दावे

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शिक्षा सत्र शुरू हुए दो महीने बाद भी सरकारी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को कई विषयों की आधी से अधिक पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। वहीं अशासकीय के कुछ विद्यालयों के शिक्षकों को तीन तो कुछ को छह महीने से वेतन नहीं मिला। यह हाल तब है जबकि विभाग की ओर से विद्यालयों में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे किए जा रहे हैं। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। यही वजह है कि सैकड़ों विद्यालय जहां बंद हो चुके हैं, वहीं 3000 से अधिक विद्यालय बंदी की कगार पर हैं। जिनमें छात्र-छात्राओं की संख्या 10 या फिर इससे भी कम रह गई है।

प्रदेश के कुछ अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों को तीन तो कुछ को छह महीने से वेतन नहीं मिला। उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ मामले को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट से मिला। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष स्वतंत्र मिश्रा के नेतृत्व में शिक्षा निदेशक से मिले शिक्षकों ने कहा, टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है, जबकि श्रीगुरु नानक बालिका इंटर कॉलेज रुद्रपुर, जिला ऊधमसिंह नगर की शिक्षिकाएं एवं कर्मचारी पिछले छह महीने से वेतन के इंतजार में हैं। बागेश्वर और टिहरी में 2017 से सवित्त मान्यता प्राप्त विद्यालय के शिक्षकों को भी वेतन जारी नहीं हुआ। संगठन ने कहा, शिक्षकों को वेतन जारी करने के साथ ही तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने, पीटीए शिक्षकों को मानदेय परिधि में लाने, चयन, प्रोन्नति वेतनमान में एक वेतन वृद्धि दी जाए। शिक्षकों ने कहा, शिक्षा निदेशक ने जल्द समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है। शिक्षक इसके बाद आयुष्मान स्वास्थ्य योजना को अशासकीय शिक्षकों पर लागू करने के लिए स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक डॉ. विनोद टोलिया से मिले। निदेशक से मिलने वालों में ऊधम सिंह नगर के जिलाध्यक्ष अजय कौशिक, जिला मंत्री मनोज कुमार शर्मा, रमेश पांडेय, गुरु नानक कॉलेज से कुलदीप कौर, सतविंदर कौर ,नीतू शर्मा, अल्पना आदि शामिल रहे।

शिक्षा विभाग के कारनामे भी अजब गजब हैं। पिछले साल जहां शिक्षा सत्र की समाप्ति तक छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकों के लिए इंतजार करना पड़ा। वहीं, इस साल नया शिक्षा सत्र शुरू हुए दो महीने बाद भी छात्रों को शत प्रतिशत पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई है। विभाग की ओर से सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में कक्षा एक से 12वीं तक छात्र-छात्राओं को शिक्षा सत्र की शुरुआत में पाठ्य पुस्तकें मिल जानी चाहिए थी, लेकिन हाल यह है कि अब तक आधी अधूरी पाठ्य पुस्तकें हीं मिल पाई हैं। खासकर अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के छात्र कई विषयों की पाठ्य पुस्तकों के इंतजार में हैं। देहरादून के अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में कक्षा नौ में अंग्रेजी की दो में से एक भी पुस्तक नहीं मिली। यही हाल विज्ञान की पुस्तक का है। 10वीं में विज्ञान, 11वीं में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, 12वीं में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की अब तक एक भी पाठ्य पुस्तक नहीं मिली, जिससे दूरदराज के पर्वतीय जिलों में पाठ्य पुस्तकों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन विद्यालयों के शिक्षकों के मुताबिक, 12वीं में भूगोल की तीन पाठ्य पुस्तकें हैं। तीन में से दो पुस्तकें मिली हैं, जो एक पुस्तक मिली है, वह भी कम मिली है। इसी तरह गणित में दो में से एक पुस्तक मिली है। जो मिली है, उसमें छात्र अधिक हैं और पाठ्य पुस्तकें कम हैं। अर्थशास्त्र में दो में से एक पुस्तक मिली है। शिक्षकों के मुताबिक, पिछले साल छात्र-छात्राओं की पुरानी पाठ्य पुस्तकें जमा कराई गई थी। जो पर्याप्त नहीं हैं, जैसे तैसे उसी से काम चलाया जा रहा है।

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