Saturday, July 27, 2024

सुहागिन ही नही बल्कि कुंवारी कन्याएं भी रखती करवा चौथ का व्रत जानिये क्या है नियम?

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करवा चौथ विवाहित महिलाओं का व्रत माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही शाम के समय चांद को देखने के बाद का पारण करती हैं. करवा चौथ को मुख्य रूप से सुहाग का पर्व माना जाता है. लेकिन मान्यतानुसार, करवा चौथ का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं. कहा जाता है कि अगर अविवाहित युवतियां अगर सुयोग्य वर प्राप्ति की कामना से इस व्रत को रखना चाहती हैं तो उन्हें करवा चौथ के कुछ नियम का पालन जरूर करना चाहिए. वैसे तो हिंदू धर्म में अविवाहित कन्याओं के लिए करवा चौथ का व्रत रखने की मनाही है, लेकिन कुछ खास नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रखा जा सकता है. आइए जानते हैं अविवाहित कन्याएं किस तरह से इस व्रत को रख सकती हैं.

करवा चौथ पर ना रखें निर्जला व्रत
अगर आपकी शादी नहीं हुई है और सुयोग्य वर प्राप्ति की कामना से या शीघ्र शादी के लिए व्रत रखना चाहती हैं तो ऐसे में आप इस दिन निर्जला व्रत ना रखें. करवा चौथ व्रत की मान्यतानुसार इस दिन सुहागिन महिलाओं को ही निर्जला व्रत रखना होता है. ऐसे में अगर यदि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को कर रही हैं तो इस दौरान फलाहार और जल का सेवन कर सकती हैं. रात के समय चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें और अन्न ग्रहण करें

कुंवारी कन्या ऐसे रखें करवा चौथ का व्रत
मान्यतानुसार, ऐसी कुंवारी कन्याएं जिनकी शादी तय हो चुकी है या जिनकी सगाई हो चुकी है वो अपने होने वाले पति की लंबी उम्र की कामना लिए हुए निर्जला व्रत रख सकती हैं. वहीं जो लड़कियां शादी की इच्छा हेतु व्रत कर रही हैं वो पूरे दिन अन्न का त्याग करके पार्वती जी की पूजा करें.

छलनी से ना देखें करवा चौथ का चांद
करवा चौथ के व्रत में छलनी से चांद को देखने की परंपरा है. लेकिन अगर जिनकी शादी नहीं हुई है और वो करवा चौथ का व्रत कर रही हैं, तो उन्हें चांद देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. दरअसल सुहागिन महिलाएं ही छलनी से चांद को देखती हैं, यह परंपरा उनके लिए ही है. इस बात का जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है.

माता पार्वती की पूजा
अविवाहित कन्याओं को अच्छे वर की कामना पूर्ति के लिए करवा चौथ के दिन मुख्य रूप से माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अविवाहित लड़कियों के लिए चांद देखकर व्रत खोलने या चांद को अर्घ्य देने जैसी कोई बाध्यता नहीं होती है. वे इस दिन करवा चौथ की कथा भी सुन सकती हैं.

थाली घुमाने और करवा बदलने की रस्म का करें त्याग
करवा चौथ की मुख्य रस्मों में से एक है थाली घुमाने के साथ ही करवा बदलने का भी रस्म है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये दोनों की रस्म शादी के बाद करने की सलाह दी जाती है. यही कारण है कि कुंवारी कन्याओं के लिए यह रस्म निषेध माना गया है. हालांकि करवे की जगह जल से भरे कलश का इस्तेमाल किया जा सकता है.

 

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हमारा न्यूज़ पोर्टल इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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