सैकड़ों राज्य आंदोलनकारियों ने राज्याधीन सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की बहाली और साल 2012 से लंबित पड़े प्रदेश के तमाम राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण जैसी मांगों को लेकर जिलाधिकारी देहरादून के कार्यालय का घेराव किया है। बता दें कि राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों से जुड़ा एक ज्ञापन एडीएम प्रशासन एस.के. बरनवाल को सौंपा ।
पिछले माह के धरने में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने जिलाधिकारी कार्यालय के घेराव की घोषणा की थी इसलिए तयशुदा कार्यक्रम के तहत राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने चिन्हीकरण के लंबित मामलों के जल्द समाधान के लिए शासन प्रशासन का विरोध कर राज्य सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है।राज्यआंदोलनकारियों की मानें तो इनके चिन्हीकरण के लिए 31 दिसम्बर 2021 को एक शासनादेश जारी किया गया था जिसमें सभी आंदोलनकारियों को प्रार्थना पत्र जमा करने के लिए कहा गया था ताकि इनको सूची में शामिल किया जा सके पर अफसोस आज भी सेंकड़ों नाम की लिस्ट महज़ फाइलों तक सिमट कर रह गई हैं और तो और इनमें से कई राज्यआंदोलनकारी दिवंगत भी हो चुके हैं ऐसे में सूचि में शामिल होना तो दूर बल्कि अफसोस ये है कि इनमें से कई राज्य आंदोलनकारियों की कई महीनों से पेंशन तक भी नहीं आई है। राज्य आंदोलनकारी मंच ने आक्रोश भरे लहजे में शासन प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों पर जल्द एक्शन नहीं लिया जाता तो जल्द ही जिलाधिकारी के आवास का घेराव करेंगे साथ ही सत्तासीन पार्टी भाजपा की ईंट से ईंट बजाने का काम भी करेंगे।
राज्याधीन सेवाओं में राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की बहाली और चिन्हीकरण से जुड़े मसलों पर सत्ता पक्ष पार्टी भाजपा ने शासन और सरकार डिफेंस किया है तो वहीं इस पूरे मामले पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शासन और सरकार को जमकर खरी खोटी सुनाई है।
पिछले माह के धरने में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने जिलाधिकारी कार्यालय के घेराव की घोषणा की थी इसलिए तयशुदा कार्यक्रम के तहत राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने चिन्हीकरण के लंबित मामलों के जल्द समाधान के लिए शासन प्रशासन का विरोध कर राज्य सरकार के खिलाफ हल्ला बोला है।राज्यआंदोलनकारियों की मानें तो इनके चिन्हीकरण के लिए 31 दिसम्बर 2021 को एक शासनादेश जारी किया गया था जिसमें सभी आंदोलनकारियों को प्रार्थना पत्र जमा करने के लिए कहा गया था ताकि इनको सूची में शामिल किया जा सके पर अफसोस आज भी सेंकड़ों नाम की लिस्ट महज़ फाइलों तक सिमट कर रह गई हैं और तो और इनमें से कई राज्यआंदोलनकारी दिवंगत भी हो चुके हैं ऐसे में सूचि में शामिल होना तो दूर बल्कि अफसोस ये है कि इनमें से कई राज्य आंदोलनकारियों की कई महीनों से पेंशन तक भी नहीं आई है। राज्य आंदोलनकारी मंच ने आक्रोश भरे लहजे में शासन प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों पर जल्द एक्शन नहीं लिया जाता तो जल्द ही जिलाधिकारी के आवास का घेराव करेंगे साथ ही सत्तासीन पार्टी भाजपा की ईंट से ईंट बजाने का काम भी करेंगे।
राज्याधीन सेवाओं में राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की बहाली और चिन्हीकरण से जुड़े मसलों पर सत्ता पक्ष पार्टी भाजपा ने शासन और सरकार डिफेंस किया है तो वहीं इस पूरे मामले पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शासन और सरकार को जमकर खरी खोटी सुनाई है।