Saturday, July 27, 2024

घायल पिता ने उखड़ती सांसों के बीच बचाई अपने बच्चों की जान! घटना जानकर आपकी आंख भी हो जाएंगी नम

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

कहते हैं कि अपनी जान से ज्यादा अपने बच्चों के लिए माँ-बाप कुछ भी कर सकते है। बच्चों की खुशियों के लिए फिर चाहे उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ जाए। यह बात एक कार दुर्घटना में पिता द्वारा खुद की जान की चिंता किए बगैर अपने दोनों बच्चों को नया जीवन देने पर सटीक बैठती है। तिलक चढ़ाकर लौट रहे विकास की कार देर अनियंत्रित होकर नाले में गिर गई तो उनके साथ बैठे दोनों बच्चों की जान पर बन आई। बुरी तरह से घायल पिता ने अपनी थमती सांसों का ख्याल न रख बच्चों को बचाने का फैसला किया। नाले में पानी होने के कारण सभी के लिए कार से बाहर निकलना असंभव था।

उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फंसे होने के बाद भी कांच को किसी तरह से तोड़ने का प्रयास किया। मौत से जूझते हुए वे अपने बेटा और बेटी को बाहर निकालने में सफल हो गए। लेकिन वे खुद की सांसों को थमने से नहीं रोक सके। भिंड में अपने रिश्तेदार की बेटी का तिलक चढ़ाकर विकास कार चलाते हुए आ रहे थे। उसके साथ वाली सीट पर उसका 14 वर्षीय पुत्र विराट और 17 वर्षीय पुत्री वैष्णवी बैठी थी। रात होने के कारण दोनों बच्चे सो गए थे। सिकंदरा में जगन्नाथपुर मोड़ के पास बेसहारा मवेशी को बचाने में अनियंत्रित कार सड़क किनारे नाले में पलट गई और बच्चे जा गए। सोने से पहले सबकुछ अच्छा था। लेकिन आंख खुलते ही अब सब कुछ बदल गया था। पिता बहुत तरह से घायल अवस्था में कराह रहे थे। कार में पानी ऊपर तक भर गया। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, अब आगे क्या होगा? कार से बाहर कैसे निकलेंगे?

ये सवाल विराट ही नहीं बहन वैष्णवी और पिता के मन में चल रहे थे। ऐसे में छटपटाने के अलावा कुछ समझ नहीं आ रहा था। विराट ने भी अपनी उम्र और समझ के अनुसार गेट खोलने का प्रयास किया, लेकिन उसे हर बार हताशा ही हाथ लगी। विराट ने बताया कि कई बार ऐसा किया, फिर घायल पिता ने हम दोनों की घबराहट और जान की चिंता कर खुद से हिम्मत जुटाई। जैसे-तैसे पिता ने हमारी तरफ के गेट का कांच तोड़ने में मदद की। हम दोनों ने हाथ और पिता ने पैर से कांच पर वार किया। उनके इस प्रयास से कांच टूट गया और पिता ने हम दोनों के लिए मौत से जिंदगी छीन ली। पिता ने कांच टूटने के बाद पहले हमकों को बाहर निकाला। हम लोग बाहर निकलकर कार के ऊपर खड़े हो गए और मदद की गुहार लगाने लगे। हमें उम्मीद थी कि हमारी मदद को कोई आएगा। पिता का भी इंतजार कर रहे थे कि हमारे बाद अब वे भी बाहर आ जाएंगे। लेकिन काफी देर इंतजार के बाद भी पिता निकल नहीं सके और कार में फंसे-फंसे उनकी जान चली गई। पिता अपने जीवन के अंतिम पलों में भी दोनों बच्चों को जिंदगी देकर अपना फर्ज निभा गए। रोते हुए बच्चे अपने इस दूसरे जीवन को भी पिता की ही देन मान रहे हैं। वह उनको कभी नहीं भूल पाएंगे। दोनों बच्चों को एसपी ने सांत्वना दी और हिम्मत से रहने को कहा।

 

Latest Articles